.....

Hindi Poems, उसने जो चाहा था...

उसने जो चाहा था मुझे इस ख़ामुशी के बीच
मुझको किनारा मिल गया उस बेखुदी के बीच

घर में लगी जो आग तो लपटों के दरमियां
मुझको उजाला मिल गया उस तीरगी के बीच

उसकी निगाहेनाज़ को समझा तो यों लगा
कलियाँ हज़ार खिल गईं उस बेबसी के बीच

मेरे हजा़र ग़म जो थे उसके भी इसलिए
उसने हँसाकर हँस दिया उस नाखुशी के बीच

मेरी वफ़ा की राह में उँगली जो उठ गई
दूरी दीवार बन गई इस ज़िंदगी के बीच

दुनिया खफ़ा है आज भी तो क्या हुआ
उसका ही रंगो नूर है इस शायरी के बीच

0 शायरी पसंद आने पर एक टिप्पणी (Comment) जरूर लिखे।:

Post a Comment

Please like this website on facebook

फेसबुक उपयोगकर्ता के लिए टिप्पणी करने हेतु आसान टिप्पणी बॉक्स

  © World Of Hindi Shayari. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP