Dard Shayari, आगोश-ए-सितम में...
आगोश-ए-सितम में ही छुपा ले कोई !
तनहा हूँ तड़पने से बचा ले कोई !!
सुखी हैं बरी देर से पलकों की जुबान !
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई !!
आगोश-ए-सितम में ही छुपा ले कोई !
तनहा हूँ तड़पने से बचा ले कोई !!
सुखी हैं बरी देर से पलकों की जुबान !
बस आज तो जी भर के रुला दे कोई !!
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