Zakhm-e Dil Shayari, सुकून-ऐ-जान के लिए....
सुकून-ऐ-जान के लिए दुवा कैसे करू !
दर्द तो उसने दिया हैं, गिला कैसे करू !!
सोचता हूँ कभी की मैं मर जाऊ....!
लेकिन उनको जमाने में अकेला कैसे करू !!
सुकून-ऐ-जान के लिए दुवा कैसे करू !
दर्द तो उसने दिया हैं, गिला कैसे करू !!
सोचता हूँ कभी की मैं मर जाऊ....!
लेकिन उनको जमाने में अकेला कैसे करू !!
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