रख हौंसला, वो मंजर भी आएगा
रख हौंसला, वो मंजर भी आएगा,
प्यासे के पास समंदर भी आएगा,
थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफिर,
तुझे मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।
रख हौंसला, वो मंजर भी आएगा,
प्यासे के पास समंदर भी आएगा,
थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफिर,
तुझे मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।
Back to TOP
0 शायरी पसंद आने पर एक टिप्पणी (Comment) जरूर लिखे।:
Post a Comment