फूलों की याद आती है काँटों को छूने पर
फूलों की याद आती है काँटों को छूने पर,
रिश्तों की समझ आती है फासलों पे रहने पर,
कुछ जज़्बात ऐसे भी होते हैं जो आँखों से बयां नहीं होते,
वो तो महसूस होते हैं ज़ुबान से कहने पर।
रिश्तों की समझ आती है फासलों पे रहने पर,
कुछ जज़्बात ऐसे भी होते हैं जो आँखों से बयां नहीं होते,
वो तो महसूस होते हैं ज़ुबान से कहने पर।
0 शायरी पसंद आने पर एक टिप्पणी (Comment) जरूर लिखे।:
Post a Comment