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Mirza Ghalib Shayari - कहते हुए साक़ी से हया आती है वर्ना

कहते हुए साक़ी से हया आती है वर्ना,
कहते हुए साक़ी से हया आती है वर्ना,

है यों, कि मुझको दुर्दे-तहे-ज़ाम बहुत है।
(दुर्दे-तहे-ज़ाम- शराब की प्यालियों में बची हुई शराब/तलछट)

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Mirza Ghalib Shayari - वफा कैसी? कहाँ का इश्क?

वफा कैसी? कहाँ का इश्क? जब सर फोड़ना ठहरा,
वफा कैसी? कहाँ का इश्क? जब सर फोड़ना ठहरा,

तो फिर ऐ संगदिल! तेरा ही संगे-आस्तां क्यों?”
(संगदिल- पत्थरदिल/पाषाणहृदय, संगे-आस्तां- दहलीज का पत्थर/चौखट)

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Mirza Ghalib Shayari - इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया

इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
इश्क ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,

वर्ना हम भी आदमी थे काम के।

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Mirza Ghalib Shayari - खुशी से मेरे हाथ-पाँव फूल गये

‘असद’ खुशी से मेरे हाथ-पाँव फूल गये,
‘असद’ खुशी से मेरे हाथ-पाँव फूल गये,

कहा जो उसने, जरा मेरे पाँव दाब तो दे।
(‘असद’- ग़ालिब का पहले का नाम)

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Mirza Ghalib Shayari - दाद इस जुनूने-शौक की देना

खुदा के वास्ते, दाद इस जुनूने-शौक की देना,
खुदा के वास्ते, दाद इस जुनूने-शौक की देना,

की उसके दर पे पहुँचते हैं, नामाबर से हम आगे।
(जुनूने-शौक- अभिलाषाओं का उन्माद, नामाबर- पत्रवाहक)

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Mirza Ghalib Shayari - कासिद के आते-आते

कासिद के आते-आते खत इक और लिख रखूँ,
कासिद के आते-आते खत इक और लिख रखूँ,

मैं जानता हूँ, जो वो लिखेंगे जवाब में।
(कासिद- पत्रवाहक)

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Mirza Ghalib Shayari - इस सादगी पे कौन न..

इस सादगी पे कौन न मर जाये, ऐ खुदा,
इस सादगी पे कौन न मर जाये, ऐ खुदा,

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।

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Mirza Ghalib Shayari - मुद्दत हुई है यार को..

मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए
मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए

जोश-ए-कदह से बज़्म चिरागां किये हुए।
(मुद्दत- लम्बा समय, जोश-ए-कदह- मदिरा का उबाल, बज्म- महफिल, चिरागां- रौशन) 

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Mirza Ghalib Shayari - जाते हुए कहते हो..

जाते हुए कहते हो, क़यामत को मिलेंगे
जाते हुए कहते हो, क़यामत को मिलेंगे

क्या खूब! क़यामत का है गोया कोई दिन और।
(कयामत- प्रलय, गोया- जैसे)

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Mirza Ghalib Shayari - हमने माना कि तग़ाफुल..

हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे, लेकिन
हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे, लेकिन

ख़ाक हो जायेंगे हम, तुमको खबर होने तक।
(तगाफुल- उपेक्षा)

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Mirza Ghalib Shayari - इश्क पे जोर नहीं...

इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,

कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।
(आतिश- आग)

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Armaan Shayari - कोई न मिले तो किस्मत से

कोई न मिले तो किस्मत से गिला नहीं करते,
अक्सर लोग मिल कर भी मिला नहीं करते,
हर शाख पर बहार आती हैं ज़रूर,
पर हर शाख पर फूल खिला नहीं करते!

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Armaan Shayari - चेहरे पर मरने वाले हज़ार मिल जायेंगे

चेहरे पर मरने वाले हज़ार मिल जायेंगे,
कुछ लोग हर जरुरत पूरी कर जायेंगे,
ख्वाहिश है उसकी जो दिल से समझे हमें,
हम तो जिंदगी भी उसके नाम कर जायेंगे।

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Armaan Shayari - जब कोई ख्याल दिल से टकराता है

जब कोई ख्याल दिल से टकराता है,
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है,
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है,
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है!

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Armaan Shayari - टूट गया दिल पर अरमां वही है

टूट गया दिल पर अरमां वही है,
दूर रहते हैं फिर भी प्यार वही है,
जानते हैं कि मिल नहीं पायेंगे,
फिर भी इन आँखों में इंतज़ार वही है।

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Armaan Shayari - मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ

मैं कुछ लम्हा और तेरे साथ चाहता था,
आँखों में जो जम गयी वो बरसात चाहता था,
सुना हैं मुझे बहुत चाहती है वो मगर,
मैं उसकी जुबां से एक बार इज़हार चाहता था।

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Armaan Shayari - ना मुस्कुराने को जी चाहता है

ना मुस्कुराने को जी चाहता है,
ना आंसू बहाने को जी चाहता है,
लिखूं तो क्या लिखूं तेरी याद में,
बस तेरे पास लौट आने को जी चाहता है।

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Armaan Shayari - शायद फिर से वो तक़दी

शायद फिर से वो तक़दीर मिल जाए,
जीवन के वो हसीन पल मिल जाए,
चल फिर से बैठे क्लास की लास्ट बैंच पर,
शायद वापिस वो पुराने दोस्त मिल जाए।

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Armaan Shayari - आपसे रोज़ मिलने को दिल

आपसे रोज़ मिलने को दिल चाहता है​​,
​कुछ सुनने सुनाने को दिल चाहता है​​,
​था आपके मनाने का अंदाज़ ऐसा​​,
​कि फिर रूठ जाने को दिल चाहता है​।

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Armaan Shayari - तु ही मिल जाये मुझे बस

तु ही मिल जाये मुझे बस इतना ही काफी है,
मेरी हर सांस ने बस ये ही दुआ मांगी है,
जाने क्यों दिल खींचा चला जाता है तेरी तरफ,
क्या तुम ने भी मुझे पाने की दुआ मांगी है।

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Armaan Shayari - ऐ ख़ुदा मेरे रिश्ते में

ऐ ख़ुदा मेरे रिश्ते में कुछ ऐसी बात हो,
मैं सोचूँ उसको और वो मेरे साथ हो,
मेरी सारी ख़ुशियाँ मिल जाएं उसको,
एक लम्हें के लिए भी अगर वो उदास हो।

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