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उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं...

बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ,
वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ,
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन,
दिल करता है आखिरी सांस तक उसका इंतज़ार करूँ।

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वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है..

ज़िंदगी से बस यही एक गिला है,
ख़ुशी के बाद न जाने क्यों गम मिला है,
हमने तो की थी वफ़ा उनसे जी भर के,
पर नहीं जानते थे कि वफ़ा के बदले बेवफाई ही सिला है।

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ये दिल भी कितना अजीब है..

हर रात रो-रो के उसे भुलाने लगे,
आंसुओं में उस के प्यार को बहाने लगे,
ये दिल भी कितना अजीब है कि,
रोये हम तो वो और भी याद आने लगे।

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हम आपके बिन रह नहीं सकते..

तुम्हारा दुःख हम सह नहीं सकते,
भरी महफ़िल में कुछ कह नहीं सकते,
हमारे गिरते हुए आँसुओं को पढ़ कर देखो,
वो भी कहते हैं कि हम आपके बिन रह नहीं सकते।

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जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने..

वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं,
जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं,
जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को,
कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं।

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तुम्हारा नाम ही काफी है...

तेरे हसीन तस्सवुर का आसरा लेकर,
दुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ,
तुम्हारा नाम ही काफी है राहत-ए-जान को,
जिससे ग़मों की तेज़ हवाओं को मोड़ देता हूँ।

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तुम्हारी याद से जब भी..

कोई मलाल कोई आरजू नहीं करता,
तुम्हारे बाद यह दिल गुफ्तगू नहीं करता,
कोई न कोई चीज़ मेरी टूट जाती है,
तुम्हारी याद से जब भी वज़ू नहीं करता।

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दीदार की आस लगाये बैठा हूँ

कितने अरमानों को दफनाये बैठा हूँ,
कितने ज़ख्मों को दबाये बैठा हूँ,
मिलना मुश्किल है उनसे इस दौर में,
फिर भी दीदार की आस लगाये बैठा हूँ।

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