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बैठे थे तनहा....

बैठे थे तनहा किसी के आस में !
कुछ नहीं यादो के अलाबा मेरे पास में !!
सोचते हैं क्या हुवा जो कोई नहीं करीब मेरे !
रेगिस्तान भी तो जीता हैं बरसात की आस में !!

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