Mohabbat Shayari, रोज़ एक नई सिकायत...
रोज़ एक नई सिकायत हैं आपसे !
न जाने कैसी चाहत हैं आपसे !!
कहने को तो बहुत लोग हैं हमारे आस - पास !
दिल को न जाने कैसी मोहब्बत हैं आपसे !!
रोज़ एक नई सिकायत हैं आपसे !
न जाने कैसी चाहत हैं आपसे !!
कहने को तो बहुत लोग हैं हमारे आस - पास !
दिल को न जाने कैसी मोहब्बत हैं आपसे !!
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