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Zakhm-e Dil Shayari, तरसते थे जो मिलने...

तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी !
आज वो मेरे साए से कतराते हैं !!
हम भी वही हैं दिल भी वही हैं !
न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं !!

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