Dard Shayari, खुद को पढ़ता हूँ...
खुद को पढ़ता हूँ छोर देता हूँ !
उसे भुलाने का वादा तोर देता हूँ !!
बहुत गहता ज़ख्म बसे हैं दिल की निगाहों में !
क्या करू बस रोज एक आइना तोर देता हूँ !!
खुद को पढ़ता हूँ छोर देता हूँ !
उसे भुलाने का वादा तोर देता हूँ !!
बहुत गहता ज़ख्म बसे हैं दिल की निगाहों में !
क्या करू बस रोज एक आइना तोर देता हूँ !!
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