Zakhm-e Dil Shayari, कभी - कभी तो...
कभी - कभी तो यूँही रो परती हैं आँखे !
उदास होने का कोई सबब नहीं होता...!!
मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊ !
किसी को चाहने से वो अपना नहीं होता !!
कभी - कभी तो यूँही रो परती हैं आँखे !
उदास होने का कोई सबब नहीं होता...!!
मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊ !
किसी को चाहने से वो अपना नहीं होता !!
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