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Zakhm-e Dil Shayari, गुस्ताखी यही हैं...

गुस्ताखी यही हैं हमारी की !
हर किसी से रिश्ता जोर जाते हैं !!
लोग कहते हैं मेरा दिल पत्थर का हैं !
लेकिन कुछ सख्स ऐसे भी हैं..
जो इसे भी तोर जाते हैं !!

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