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Zakhm-e Dil Shayari, वो मेरी चाहत को...

वो मेरी चाहत को यूँ आजमाते रहे !
गैरों से मिल के दिल को जलाते रहे !!
मेरी मौत के बाद भी जालिम को न आया रहम !
ला कर फूल मेरे बाजू वाली कब्र पर चढ़ाते रहे !!

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