Zakhm-e Dil Shayari, मेरी वफ़ाये हैं....
मेरी वफ़ाये हैं उनकी वफ़ाओ के सामने !
जैसे कोई चिराग हो हवाओ के सामने !!
किश्मत तो चाहती हैं तवाही मेरी....!
लेकिन मजबूर हैं किसी की दुवाओ के सामने !!
मेरी वफ़ाये हैं उनकी वफ़ाओ के सामने !
जैसे कोई चिराग हो हवाओ के सामने !!
किश्मत तो चाहती हैं तवाही मेरी....!
लेकिन मजबूर हैं किसी की दुवाओ के सामने !!
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