Zakhm-e Dil Shayari, चमन से एक बिछरा....
चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !
दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ !!
चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !
दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ !!
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