Mirza Ghalib Shayari - इश्क पे जोर नहीं...
इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।
(आतिश- आग)
इश्क पे जोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।
(आतिश- आग)
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