क्या तारीफ़ करूँ आपकी बात की
क्या तारीफ़ करूँ आपकी बात की,
हर लफ्ज़ में जैसे खुशबू हो ग़ुलाब की,
रब ने दिया है इतना प्यारा सनम,
हर दिन तमन्ना रहती है मुलाक़ात की।
हर लफ्ज़ में जैसे खुशबू हो ग़ुलाब की,
रब ने दिया है इतना प्यारा सनम,
हर दिन तमन्ना रहती है मुलाक़ात की।
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