तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा..
रोज़ आ जाते हो तुम नींद की मुंडेरों पर,
बादलों में छुपे एक ख़्वाब का मुखड़ा बन कर,
खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा,
तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा बन कर।
बादलों में छुपे एक ख़्वाब का मुखड़ा बन कर,
खुद को फैलाओ कभी आसमाँ की बाँहों सा,
तुम में घुल जाए कोई चाँद का टुकड़ा बन कर।
0 शायरी पसंद आने पर एक टिप्पणी (Comment) जरूर लिखे।:
Post a Comment