कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं, कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को, याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं। |
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की, लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं, कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को, याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं। |
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