Zakhm-e Dil Shayari, इस ज़माने में मेरा...
इस ज़माने में मेरा कोई हमदर्द नहीं !
तू भी न चाहे तो कोई हर्ज नहीं....!!
कभी ठोकर, कभी आँसू और रूसवाइया मिली !
कैसे कहू की दिल में मेरे कोई दर्द नहीं !!
इस ज़माने में मेरा कोई हमदर्द नहीं !
तू भी न चाहे तो कोई हर्ज नहीं....!!
कभी ठोकर, कभी आँसू और रूसवाइया मिली !
कैसे कहू की दिल में मेरे कोई दर्द नहीं !!
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