Zakhm-e Dil Shayari, ख्वाब समझ कर...
ख्वाब समझ कर उसने हमें भुला दिया !
मेरी चाहत का उसने क्या खूब सिला दिया !!
उसकी महफिल में थी तन्हाई का आलम...!
अंधेरा दूर करने के लिए उन्होंने हमें ही जला दिया !!
ख्वाब समझ कर उसने हमें भुला दिया !
मेरी चाहत का उसने क्या खूब सिला दिया !!
उसकी महफिल में थी तन्हाई का आलम...!
अंधेरा दूर करने के लिए उन्होंने हमें ही जला दिया !!
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