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Zakhm-e Dil Shayari, सौ दूरियों पे रह कर भी...

सौ दूरियों पे रह कर भी जुदा न थे !
वो मेरी जिंदगी थे बेवफा न थे !!
जरा सी बात को क़यामत बना डाला !
वर्ना कभी वो मुझसे इतना खफा न थे !!

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