.....

Mirza Ghalib Shayari - मुद्दत हुई है यार को..

मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए
मुद्दत हुई है यार को मेहमां किये हुए

जोश-ए-कदह से बज़्म चिरागां किये हुए।
(मुद्दत- लम्बा समय, जोश-ए-कदह- मदिरा का उबाल, बज्म- महफिल, चिरागां- रौशन) 

0 शायरी पसंद आने पर एक टिप्पणी (Comment) जरूर लिखे।:

Post a Comment

Please like this website on facebook

फेसबुक उपयोगकर्ता के लिए टिप्पणी करने हेतु आसान टिप्पणी बॉक्स

  © World Of Hindi Shayari. All rights reserved. Blog Design By: Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP