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Mirza Ghalib Shayari - इस सादगी पे कौन न..

इस सादगी पे कौन न मर जाये, ऐ खुदा,
इस सादगी पे कौन न मर जाये, ऐ खुदा,

लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।

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